कि रात गुजर गई....राजेश अस्थाना"अनंत"

कुछ तुम्हारे गिले थे
कुछ हमारे गिले थे
कहना शुरू ही हुआ
कि रात गुजर गई

दुनिया में दूर थे
ख्वाबों में एक थे
घड़ी मिलन की आई
कि रात गुजर गई

वफ़ा की कहानी
शुरु ही हुई थी
शबाब पर आती
कि रात गुजर गई

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