और मैं उसका साक्षी बनूँ ----राजेश अस्थाना"अनंत"

मैं पवन बनना चाहता हूँ
उसी की तरह बहना चाहता हूँ
चाहता  हूँ मैं  बहुं तो
आशाओं के नए फूल खिले
ताकि प्यार की कलियाँ महकें
सदभाव की बेलें पनपें
और मैं उसका साक्षी बनूँ ।

मैं जल बनना चाहता  हूँ
उसकी तरह बहना चाहता हूँ
चाहता हूँ मैं बहुं तो
कोई प्यासा न रहे
ताकि प्यार की कलियाँ महकें
पंछियों के कलरव से बगिया चहके
और मैं उसका साक्षी बनूँ ।

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