अभी अरविंद केजरीवाल के समग्र मूल्यांकन का वक्त नहीं आया है...

अभी अरविंद केजरीवाल के समग्र मूल्यांकन का वक्त नहीं आया है।आप की सरकार अभी तो ठीक चल रही है। अभी यह कहना ठीक नहीं होगा कि वादे के मुताबिक वह अपना वादा पूरा करती है या नहीं।
आम आदमी की साख तो तभी थोड़ी कमजोर हो गई थी, जब आप ने कांग्रेस से समर्थन लिया था, बिन्नी ने इसे और भी कमजोर कर दिया। जिस राजनीतिक दल को मतदाताओं ने दूसरे दलों से हटकर समझा था, उसके इस आचार, विचार और व्यवहार पर लोगों का निराश होना स्वाभाविक है। इससे न केवल पार्टी की साख कमजोर हो रही है बल्कि केजरी सरकार के प्रति लोगों की उम्मीदें-आशाएं धराशायी हो रही हैं। ऐसे में इस राजनीतिक दल के उत्थान के बाद इस दिशा और दशा तक पहुंचने के कारणों की पड़ताल आज हम सबके लिए बड़ा मुद्दा है। हमारी राजनीतिक व्यवस्था में आम आदमी पार्टी के रूप में एक ऐसे राजनीतिक दल का प्रादुर्भाव हुआ जिसने अपनी कथनी और करनी को एक जाहिर कर जनता का दिल जीत लिया। इस राजनीतिक दल के सदस्य आम जनता को अपने से दिखे। कोई बनावटीपन नहीं। जो सही है वही होना चाहिए। जनता उनकी बातों और वादों पर रीझ गई और उन्हें सिर आंखों पर बैठाया। प्रतिद्वंद्वी दलों की तमाम तिकड़मबाजियों के बावजूद दिल्ली में इनकी सरकार भी बनी। अब लोकसभा चुनावों में इस राजनीतिक दल की सशक्त दावेदारी है।

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