जनता के लहू से सिंचित हो रही सत्ता
जनता का ही लहू बहता देख रही है ।
गली गली में घूम रहे
रक्त पिपासु पिशाच
छोटी छोटी बच्चियों की
आबरू हो रही तार तार
बुजर्ग हो रहे हैं बेइज्जत
रक्षक ही हो गएँ हैं भक्षक।
मत भूलो सत्ता के नशे में चूर दलालों
जो जनता अपने खून से सींच सकती है
रोक सकती है तुम्हारी धमनियों का खून
ख़ाक में मिला सकती है की तुम थे ही नही।
जनता के लहू से सिंचित हो रही सत्ता
जनता का ही लहू बहता देख रही है ।